Poultry ranikhet rog/रानीखेत बीमारी/रानीखेत बीमारी बचाव और इलाज (हिंदी में)/ranikhet rog/ranikhet bimari

           Poultry ranikhet ki treatment|रानीखेत बीमारी|


हैलो किसान भाइयों, यदि आप नये पोल्ट्री फार्मर हो। और शायद आपको पोल्ट्री फार्मिंग में बहुत सी ऐसी बीमारी आती है, जो आमतौर बीमारियो की जानकारी ना होने पर आपको बहुत सारे परेशानी होती है।

आज उन्हीं घातक बीमारी में से एक रानीखेत बीमारी है। ब्रायलर में रानीखेत बीमारी होने से किसान भाई परेशान होने लगते हैं।

परेशान होने कि कोई जरुरत नहीं,'"आज़ हम रानीखेत बीमारी का लक्षण, कारण, बचाव के उपाय, जानने वाले हैं।'"




 


" साथ बनें रहीये भाईयों आप का होगा साथ, आपके अन्दर ज्ञान भर के आपका कर देंगे विकास, ये वादा है मेरा"


हैलो किसान भाई, मैं एक poultry trainer हूं। मैं आपको निःशुल्क मुर्गी पालन व्यवसाय की जानकारी देता हूं। 

Ranikhet in poultry




रानीखेत बीमारी: इसके कारण और बचाव।



चलिए जानते हैं कि इनमें क्या-क्या जानकारी मिलेगी।


. रानीखेत बीमारी का इतिहास

. रानीखेत बीमारी क्या है

. फैलता कैसे हैं

. रानीखेत बीमारी के लक्षण क्या हैं

. कौन-कौन से अंग को प्रभावित करता है

. मुर्गियों में रानीखेत के निदान (निरक्षण)

. मुर्गियों में रानीखेत बीमारी पर कैसे   नियंत्रण पाएं

. रानीखेत बीमारी के क्या उपचार है।

. कुछ सवाल आपके लिए???



Ranikhet disease in poultry in hindi



रानीखेत बीमारी का इतिहास|ranikhet rog|


रानीखेत कि बात करें तो सर्वप्रथम डोयल ने 1926 में रानीखेत बीमारी को खोज निकाला।

यह बीमारी आस्ट्रेलिया के एक न्यूकैसल प्रदेश में मिला।

इसीलिए यही से इसका नाम न्यूकैसल डिजीज(Newcastle disease) पड़ गया। 

भारत में सर्वप्रथम उत्तराखंड के रानीखेत(Ranikhet) शहर में सन् 1939-40 के बीच में इस बीमारी को पाया गया।

इसलिए इसे भारतीय किसान रानीखेत के नाम से जानते हैं।

यह बीमारी मुर्गी ,टर्की ,बत्तख, कोयल, कबूतर, कौआ, आदि में देखने को मिलता है। हालांकि यह बीमारी सबसे ज्यादा मुर्गीयों में देखने को मिल रहा है।






रानीखेत बीमारी क्या है|ranikhet bimari kya hai|


जैसा कि आपको पता चल गया रानीखेत बीमारी किन किन को प्रभावित करता है। रानीखेत एक प्रकार का बिषाणु (viruse) है। जिसका नाम पैरामाइक्सो बिषाणु (paramyxo virus) है। यह बहुत घातक बीमारी है यदि रानीखेत पोल्ट्री फार्म में आ जाए तो मुर्गी की मृत्यु दर 20-40% बढ़ जाती है। यदि सही समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो मृत्यु दर 40-100% भी हो सकती है। रानीखेत बीमारी पोल्ट्री फार्म में आने से किसान भाईयों को बड़ा हानि होता है।

इसके बचाने के क्या उपाय है आगे हम पढ़ेंगे।




रानीखेत कैसे फैलता है|ranikhet kaise failta hai|



इसे जरूर पढ़ें- मुर्गी पालन करने का सही तरीका


  • किसान भाइयों मैं आपको बार- बार एक दिशा कि तरफ संकेत करता हूं, फार्म की साफ-सफाई सही तरीके से करें,

  • रानीखेत Virus से आपको पता चल गया होगा कि, यह तो पक्का सम्पर्क में आने से ज्यादा फैलता होगा।

  • यानी संक्रमित पक्षी को तुरंत अलग कर देना चाहिए।

  • दूषित वायु,मल से भी फैलता है।

  • दाना, पानी, दूषित वैक्सीन के स्पर्श से फैलता है।



रानीखेत बीमारी से क्या हानि होता है| ranikhet bimari se hani kya hai|


किसान भाइयों, यह बीमारी पोल्ट्री फार्म में आने से बहुत हानि उठानी पड़ती है। मृत्यु दर काफी तेजी से होने लगता है। मुर्गियों के वजन में कमी होने लगती है। अन्डा उत्पादन में भी कमी होने लगता है। रानीखेत बीमारी किसी भी उम्र मुर्गी में हों सकता है।



**रानीखेत बीमारी लक्षण क्या हैं|ranikhet bimari lakshn kya hai|


  • किसान भाई , इनको देखेंगे तो गर्दन एकदम उलट पलट किए बैठे रहेंगे।

  • रानीखेत वाइरस सीधे ब्रेन (दिमाग) को प्रभावित करता है।

  • मुर्गी अपने गर्दन को आसमान की ओर करके देखता है।

  • इम्यूनिटी सिस्टम पूरी तरह से कम हो जाती है।

  • सांस लेने में दिक्कत होती है।

  • छींके और खांसी आना शुरू हो जाती है।

  • रानीखेत बीमारी से पीड़ित होने पर मुर्गी हरे रंग(green colour) का दस्त करतीं हैं।

  • लाल अधिक आना।

  • दाना कम खाना




रानीखेत बीमारी कौन-कौन से अंग को प्रभावित करता है



"किसान भाइयों, हम लोग क्या करते हैं लक्षण देखते ही कहने लगते वो ये बीमारी है अच्छा ये दवा लागव, लेकिन बीमारी ठीक नहीं होती।

इसीलिए यह जान लेना आवश्यक है कि कौन से अंग को प्रभावित करती है"


  • गले को तेजी से प्रभावित करता है, गले में ल्यूकस कि मात्र अधिक हो जाती है।

  • दिमाग को प्रभावित करता है, रानीखेत से ग्रस्त मुर्गी को छुआ जाए तो यह किस तरफ जायेगी कोई पाता नहीं।

  • पाचन तंत्र को प्रभावित करता है।

  • इससे आंतों में डायरिया होने कि स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

  • आंत में जहां junction(तिराहे टाइप) होता है वो जंक्शन लाल रंग (red colour) का हों जाता है।

  • Proventriculus में लाल रंग के धप्पे दिखाई पड़ते हैं।



इसे जरूर पढ़ें- chicks care in hindi




मुर्गियों में रानीखेत के निदान|ranikhet bimari ke upaya|


मुर्गियों का बरताव देखें जैसे पक्षी का गतिविधि क्या है।

पोल्ट्री फार्म को अच्छी तरह viraclean से साफ करें।

बीमारी से पीड़ित मुर्गियों को तुरंत अलग कर दें।

Elisa और Pcr के माध्यम से रक्त की जांच कर सकते हैं।




रानीखेत बीमारी पर नियंत्रण कैसे पाएं


  • साफ-सफाई का ध्यान रखें।

  • Mangement अच्छा होना चाहिए।

  • बर्तन को viraclean से साफ करें।

  • कोशिश करें बाहरी लोग जहां मुर्गियां रहती है उसके पास किसी को न जाने दें

  • मरे मुर्गे को पक्षियों से दूर रखें। हो सके तो उसे फार्म से बाहर निकाल दें।

  • यदि आप अच्छी सुविधा देना चाहते हैं तो दरवाजे पर पानी की पाइप लगाये,

  • जिससे बाहर से आए लोग पैर साफ करके अन्दर जाए।


Ranikhet kaise thik kere






रानीखेत बीमारी क्या उपचार है|ranikhet bimari ke upchar kya hai|


रानीखेत एक ऐसी बीमारी है जिसका अभी तक इसका कोई दवा नहीं बना है। इस बीमारी को केवल एक ही तरीका से ठीक किया जा सकता है। वो है रानीखेत बीमारी की वैक्सीन (ranikhet disease vaccine) ।

Ranikhet disease in poultry में आने से पहले हम 6-7 दिन में वैक्सीन को लगा सकते हैं।
  • किसान भाइयों हमें लासोटा स्ट्रेन वैक्सीन को लागते है।

  • रानीखेत बीमारी से बचाव में F1 नामक वैक्सीन को देते हैं।

  • F1 वैक्सीन 1-2 दिन में बीमारी को कम कर देता है।



 सवाल-: किसान भाइयों आप बाताइए रानीखेत बीमारी को कैसे ठीक करते हैं??????



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